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मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में उज्जैन उत्तर से कांग्रेस प्रत्याशी माया राजेश त्रिवेदी चुनाव में मिली 27,513 मतों की कड़ी पराजय के बाद क्षेत्र के मतदाताओं का धन्यवाद करने का एक अलग तरीका निकाला है। इसके लिए वह जल्द ही उज्जैन उत्तर विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के बीच पहुंचेगी और हाथ जोड़कर उन्हें दिए गए आशीर्वाद के लिए धन्यवाद प्रेक्षित करेंगी।
माया राजेश त्रिवेदी ने जानकारी देते हुए बताया कि विधानसभा चुनाव का परिणाम काफी आश्चर्यजनक रहा है। चुनाव के दौरान पार्टी के प्रत्येक कार्यकर्ता और पदाधिकारी ने सक्रिय होकर यह चुनाव लड़ा। लेकिन मतदाताओं के आशीर्वाद के बावजूद भी हमें पराजय का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि कार्यकर्ताओं के साथ जल्द ही एक बैठक लेकर हम इस बात का निर्णय करेंगे कि हमें जनता के बीच आखिर किस प्रकार से जाना है। वैसे तो मैं पूरे उज्जैन उत्तर विधानसभा क्षेत्र में जनता के आशीर्वाद के लिए धन्यवाद देने पहुंचूंगी, लेकिन वार्ड क्रमांक 2, 4, 5, 7, 10, 12, 17, 29 और 33 कुछ ऐसे वार्ड हैं, जहां से कांग्रेस पार्टी को लगभग 35,000 वोटों से पराजय का सामना करना पड़ा है। मैं सबसे पहले इन्हीं वार्डों में, जनता के आशीर्वाद का धन्यवाद देने घर-घर पहुंचूंगी और हाथ जोड़कर सभी मतदाताओं को धन्यवाद कहूंगी।
जिन ईवीएम की बैटरियां 99% मिलीं, उनके परिणामों ने चौंकाया
माया त्रिवेदी ने बताया कि जिन ईवीएम की बैटरी 99 से 97% तक मिली, उनके परिणाम काफी चौंकाने वाले रहे हैं। उन्होंने बताया कि मतगणना के दौरान जब यह ईवीएम लाई गई तो इस पर जो कार्यकर्ता बूथ पर बैठे थे, उनके साइन मतगणना वाले दिन मैच नहीं हुए। साथ ही सीरियल नंबरों का मिलान भी नहीं हुआ। हमने चुनाव के दौरान कई बार आपत्तियां ली थी, लेकिन किसी भी आपत्ति का कोई निराकरण न होने पर एक समय ऐसा आया, जब हमने आपत्तियां करना ही बंद कर दी। विधानसभा क्षेत्र में अब भी लोग हमें अपना वोट देने की बात कर रहे हैं, लेकिन जो एक तरफ़ा परिणाम आया है, वह आश्चर्यजनक है। क्योंकि हम खुद यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर जनता ने हम पर भरोसा जताया तो आखिर यह वोट कहां गए?
पीसीसी को भी कर चुकी हैं शिकायत
माया त्रिवेदी ने ईवीएम मशीन की टेंपरिंग की शिकायत भोपाल पहुंचकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से भी मजबूती के साथ की है और उन्हें भी यह अवगत करवाया कि चुनाव के दौरान उनकी शिकायतों का कोई निराकरण नहीं हुआ। मतगणना वाले दिन भी वे लोग आपत्तियां लगाते रहे, लेकिन फिर भी उनकी आपत्तियों का कोई निराकरण नहीं हुआ।